⊕करुणा झा ⇒ जाहि प्रकार मनचाहा स्पीड में गाडी चलेबाक अधिकार किनको नहिं होइत अछि, किया की सड्क सार्वजनिक अछि, तहिना कोनो भी स्त्री गंण के, मनचाहा अर्घनग्नयक्त वस्त्र पहिरय के अधिकार नहिं होयबाक चाहि, किया कि जीवन सार्वजनिक अछि, एकान्त सड्क पर गाडी स्पीड चलाउ, एकान्त जगह में अर्घनग्न रहु मुदा सर्वजनिक जीवन में नियम के अुनसार चलै पड्त ।
भोजन जखन सवंय के पेट में जा रहल अछि, त स्वंय के रुचि अनुसार बनत, मुदा जब भोजन पुरा परिवार लेल बनत त तखन, सबहक रुचि के मान्यता देबय पडै्त अछि । अखुनका समय में लड्की सब, अपन पहिरन में अपन स्वतंगता, स्वाधीनता के हक बनाबैत अछि , ई हमर निजी धारण अछि ।
हम कि पहिरब, लड्की सबे अर्धनग्न वस्त्र पहिरै के मुद्दा उठेनाई ओतबे जरुरी अछि, जतेक लड्का सब के लेल शराब पी क गाडी चलेनाई मुद्दा दुनु में एक्सीडेन्ट के खतरा अछि । अपन इच्छा, अपन रुचि धर क चारदीवारी तक सिमित रहबा क चाहि।
घर सं बाहर जखन आँहा सार्वजनिक जीवन में कदम राखै छी त सामाजिक मर्यादा, कायदा, कानुन के मानय परत चाहे आँहा लड्का छी, या लड्की घुँघट आ बुरका पर तं बहुत भाषण होईत अछि जे, ई महिला सब के विकास में बाधक अछि ।
यदि घुँघट आ बुरका गलत अछि त, अर्धनग्न सेहो गलत अछि कम उमर के होर्ए अथवा नमहर उमर के, औरत सब सेहो फैशन के नामपर फाटल जिन्स ओढनी से उपर टाप पहिर क घुमनाई, अपन सब के संस्कृति नहिं अछि, जीवन सेहो गिटार सन अछि । बेसी तार कसनाई गलत अछि त बेसी अवस्था में सुर नई निक लत ।
संस्कार के जरुरत, स्त्री पुरुष दुनु के अछि । नग्नता यदि मोर्डन हेबाक निशानी अछि त, जानवर बढिया, जेकरा में कपडा पहिरय के संस्कृति नई अछि । अतः जानवर सं रेस नई करु, सभ्यता संस्कृति के स्वीकारु । उचित वस्त्र के उपयोग सार्वजनिक जीवन मैं करु । मर्यादा नई लांघु, सभ्यता में रहु । तखने हमसब मानब कहाबै योग्य छी ।
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