आत्मवृत्तान्त श्रृंखला-१
शीर्षक : ललका चाह
⇒ बहुते दिनस’ हमरा चिकित्सकीय सल्लाह देल जाइ छलै ललका चाह पिबाक लेल । कहल जाइ छल जे दूधबला चाहस’ पेटमे गैस बेसी बनैछै । किछु मित्रोसब कहैत रहै छला दूधबला चाह छोड़एलु । मुदा छुइट नइँ रहल छल । दूधक अभावमे कहिओ जँ भोरमे दूधबला चाह नइँ पिबै छलौँ त बारह बाजैत-बाजैत मथदुक्खी शुरु भेनाइए छल ।
मुदा दू मासस’ दूधबला चाह छुइट गेल । चीनी बेमारीक कारणेँ चीनी नइँ पडै़ छै ललका चाहमे,मुदा बिटनोन आ कागजी नेबोके रस चाहकेँ सुअदगर बना दैछै ।
दूधबला चाह छुटबाक तात्कालिक परिस्थितिजन्य कारण छै हमर धर्मपत्नीक बेमारी । जेठे मासक पनरहिआक वाद ओ ततेक ने अशक्त भेली जे अबिलम्ब काठमाण्डू ल जाए पड़ल । वीर अस्पतालमे दू सप्ताह भर्ना रहलथि । केबिनमे हुनका सङमे दिन राति रहै छलौँ । भोरे चाहके तलक लागै छल । कैन्टिनमेस’ चाह आनै छलौँ, जे ने हमरा नीक लागै छल आ ने हुनके । आरती (हमर बेटी) इन्डक्शन चुल्हा, साउसपैन, चाहपत्ती, चाहछन्ना , बिटनोनो आ चीनीओक जोगाड़ लगेलक आ हम अपनेसु चाह बनेनाइ शुरु केलौँ । एक-दू दिन त माथ धमकल, मुदा तकर वाद त ओहीमे रमि गेलौँ दूनू गोटे ।
काठमाण्डू हरेक मास जाए पडै़ए तकर बादस । किछ मास आरो जाए पड़त । हुनकर स्वास्थ्यमे सुधार भ रहल छन्हि, मुदा बेमारी मुक्त नइँ भ सकल छथि । अखन हमर सम्पूर्ण प्राथमिकतामे हुनकर इलाजेटा अछि, तएँ सामाजिक आन गतिविधिमे, सभा सम्मेलन आदिमे सकृय नइँ छी । मिथिला साप्ताहिक पत्रिकाक सम्पादनक लेल समय नइँ छलरनइँ अछि । एही कारणेँ सम्पादकक पद त्याग क’ देलौँ । अन्य लेखन काज सेहो विराम अवस्थामे अछि ।
हुनकर बेमारी पुरे परिवारक गतिविधिकेँ प्रभावित कएलक अछि । काठमाण्डूमे रहनिहार बेटा-पुतहु, बेटी-जमाए,भाए-भाबहु हमर जीवनकेँ हल्लुक केने रहै छथि, तन-मन-धनस’ । द्वारिका, हमर पुरान शिष्यक आत्मीय सहयोगक सम्बन्धमे अलगे एकटा श्रृंखला रहत । राजविराजमे मीरा (छोटकी बेटी) सेहो अपन पेशागत व्यस्तताक मध्य तन-मन-धनसँ सेवारत अछि हमरासभक ।
एहि कालखण्डमे बहुते तीत-मीठ अनुभव भेल अछि, जे अगिला श्रृंखलासबमे परसब । एही बहन्ने किछ लिखाइओ जाएत । हँ, दूधबला चाह छुइट गेल आ ललका चाहक अभ्यस्त भ’ गेलौँ, सेहो एकटा अनुभव ।
८२०८०/०५/ २३ शनिदिन, राजविराज ।
(साभार देवेन्द्र मिश्रक फेशबुक वालस)
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